Friday, 5 July 2013

The Style of Living

अवसर जीवन को जीवंत करने का 
आज एक दंभ भर उस पर्वत को उभार दो, देर ही सही किन्तु हर संशय को दिल से निकाल दो
हो सकता है बाधा दिन भर ताकती है तुम्हें, उसी की बाँहों में झूल कर उसे सीने से निकाल दो
समय साथ सदा ही देगा अगर इरादे बुलंद हो, खुद से किए वो छल पल में बल से निकाल दो 
शांति जगत की पाने हेतु क्रिया शांत न कर देना, जीवन के हर पहलूं पे समझौते न कर देना 
किस्मत तो पाणिनी की भी साथ न थी, भाग्यविधाता बन कर खुद के खुद को तुम संवार दो
चंद मुसीबत रास्ता घेर ले हमारा रुकना न होगा , घड़ी उल्टी चले चाहे कदमों का उल्टा चलना न होगा
वो वक़्त की उल्टी घड़ियाँ घुटने टेक देंगी एक दिन, बस तुम अपने हृदय गति को अधिकाधिक परवान दो
दुश्मन ये लोग नहीं शत्रु तो सोच हमारी होती है, सफलता न मिली कारण हमारी मक्कारी होती है
हम जागते रहते है क्रियाहीन इस जहाँ में, इसलिए ही तो किस्मत हमारी सोती है
इस जंग का अंत हम विजय श्री के बिना न होने देंगे, ये पुकार आग से पूर्ण कर इस गगन मे दहाड़ दो
मित्र और संगी साथी सब दूर चले जाते हैं, अगर आप नाकामी की सीढ़ियाँ निरंतर चढ़ते जाते हैं
कोई चाह कर भी आपका विरोधी न बन पाए, ये चाह सभी कर्णों में फुँकार दो
सशक्त और सदृश्य भविष्य की कामना न करो, अपने लिए भव्य महलों का भी न आवह्न करो
ये ज़िंदगी एक जीवंत मिसाल बन जाए, अपने जीवनरथ के अश्वों को गगनचुम्बी उड़ान दो
मस्तियाँ बेवजह की इस जीवन को रास न आए, हमारी कमजोरी पे कोई भी तरस न खाए
ये चाहत ही कमजोरी में ज़ोर भर देगी, खुदा खुद नीचे आए तुम ऐसे दंब भर कर पुकार दो

रचना: अरुण कुमार अग्रवाल

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