Friday, 5 July 2013

The passion for Love

तुम हुए थे रूबरू हमसे, जमाना गुजर गया 
तुम्हारी यादों के सहारे ही, ये अफसाना बन गया
हमने नादानी में ना मिलने की, कसम क्या खाई
इस खता से तुम शमा, मैं परवाना बन गया
शायद तुम तो मुझे माफी दे भी दोगी महबूबा 
लेकिन मैं सब जान कर भी, अनजान बन गया

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