The passion for Love
तुम हुए थे रूबरू हमसे, जमाना गुजर गया तुम्हारी यादों के सहारे ही, ये अफसाना बन गयाहमने नादानी में ना मिलने की, कसम क्या खाईइस खता से तुम शमा, मैं परवाना बन गयाशायद तुम तो मुझे माफी दे भी दोगी महबूबा लेकिन मैं सब जान कर भी, अनजान बन गया
Your poems too creates passion ..:)
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