Friday, 5 July 2013

See the importance of your Vote

खाकर कसमें जब हम घर छोड़ निकलते हैं
देश को बदलने की आशा संग ले निकलते हैं
क्यूँ चुनाव आने पर सब विवेक यहाँ मर जाता है
कुछ नोट हाथ में आने से परिणाम ही फिर जाता है
कोई बिरादरी की बात करे, कोई धर्म की बात करे
कोई ताकत कोई पैसा, कोई नए लालच से घात करे
कोई वोट न देकर खुश है होता, फिर अधिकारों की बात करें
कर्तव्य को नहीं समझोगे जब तक, कैसे देश की बात करे
जीत-2 वह जीत न होकर महज एक सौदा हो जाता है
फिर सोचो कौन सौदागर चुनाव में घाटा खाने आता है

फिर वही दंगे और लूटपाट समाज के हिस्से हो जाते हैं
वही मतदाता फिर से उनपर अपना आक्रोश दिखाते हैं
फिर धरने और धरनों में लाठी, कितनी निर्भया मारी जाती है
फिर उन्हीं निस्सहाय के हाथों में, मोमबत्ती ही रह जाती है

समय पर हक का बाण हमें जब, नहीं छोड़ना आता है
फिर कैसे अपनी दुर्दशा पर, अधिकार मांगना आता है
पाल-2 कर नागों को हम, अगर भविष्य यहाँ बनाएंगे
कुछ भी ख्वाब़ न पालो मेरे भाई, निश्चय ही मर जाएंगे

अपने वोट का इस्तेमाल केवल देशहित में करें

जय हिन्द

No comments:

Post a Comment