जल ही मेरा बल
जल छोडो खातिर मेरे भी, मुझे जीना और सँवरना है
क्यूँ ऐसे खडे रूकावट बन, तुम्हारी संतानों को चलना है
क्या निज आनंद अनुभव हेतु, प्रकृति की जडें जला दोगे
क्या अडे खडे निज स्वार्थ पर तुम, भविष्य की नींव हिला दोगे
यदि जीवन के आदर्श बनो तो, त्याग तुम्हें भी करना है
जल छोडो खातिर मेरे भी, मुझे जीना और सँवरना है
क्या भूल गये जब बालक थे, नीर धनी तुम होते थे
निशा में मन को शांत बनाकर, बेखौफ की निद्रा सोते थे
बन अनजान भविष्य में तुम, क्यूँ प्रलय मचाते हो
प्रकृति का संतुलन था वाजिब, क्यूँ तुम इसे डिगाते हो
छोडकर नादानी अपनी तुझे, हर कर्तव्य समझना है
जल छोडो खातिर मेरे भी, मुझे जीना और सँवरना है
क्या सोचा था एक दिन किल्लत, पानी की यहाँ हो जाएगी
जल की चंद बूंदे एक दिन, बोतल बंद बिक जाएगी
कुएं से मटकी सारी कभी, खाली ही वापिस आएगी
आने वाली ग्रीष्म ऋतु कभी, तुझे झुलस-2 झुलसाएगी
पूंजी अपनी जल को समझकर, इसे खूब एकत्रित करना है
कुएं की बातें ही छोडों अब, तालाब नदी भी भरना है
जल छोडो खातिर मेरे भी, मुझे जीना और सँवरना है
जल छोडो खातिर मेरे भी, मुझे जीना और सँवरना है
क्यूँ ऐसे खडे रूकावट बन, तुम्हारी संतानों को चलना है
क्या निज आनंद अनुभव हेतु, प्रकृति की जडें जला दोगे
क्या अडे खडे निज स्वार्थ पर तुम, भविष्य की नींव हिला दोगे
यदि जीवन के आदर्श बनो तो, त्याग तुम्हें भी करना है
जल छोडो खातिर मेरे भी, मुझे जीना और सँवरना है
क्या भूल गये जब बालक थे, नीर धनी तुम होते थे
निशा में मन को शांत बनाकर, बेखौफ की निद्रा सोते थे
बन अनजान भविष्य में तुम, क्यूँ प्रलय मचाते हो
प्रकृति का संतुलन था वाजिब, क्यूँ तुम इसे डिगाते हो
छोडकर नादानी अपनी तुझे, हर कर्तव्य समझना है
जल छोडो खातिर मेरे भी, मुझे जीना और सँवरना है
क्या सोचा था एक दिन किल्लत, पानी की यहाँ हो जाएगी
जल की चंद बूंदे एक दिन, बोतल बंद बिक जाएगी
कुएं से मटकी सारी कभी, खाली ही वापिस आएगी
आने वाली ग्रीष्म ऋतु कभी, तुझे झुलस-2 झुलसाएगी
पूंजी अपनी जल को समझकर, इसे खूब एकत्रित करना है
कुएं की बातें ही छोडों अब, तालाब नदी भी भरना है
जल छोडो खातिर मेरे भी, मुझे जीना और सँवरना है
Hope people too understand the importance of water..!
ReplyDeleteOff-course People will have to save water as their prime objective
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