Thursday, 11 July 2013

A Just Thought of Her

तुझे देखे हर बार हम,  हर कुछ नया सा लगता है
हर ख्वाब तुझे पाकर अब, सच्चा सा लगता है
बादल बरसें घनघोर घटा में, घर अपना कच्चा सा लगता है
भीग के मौसम में ऐसे, दिल अभी भी बच्चा सा लगता है
तुझे देखे हर बार हम,  हर कुछ नया सा लगता है


क्यारी फूलों वाली अक्सर, यहाँ पर महका करती हैं
मदमस्त चालों वालीं अक्सर, यहाँ पर बहका करती हैं
खिला ये बाग तुझसे है, जली ये आग तुझसे है
रहते अब होश तुझमें हैं, मेरा अब जोश तुझमें है
जानकर आज सब कुछ भी, कुछ शेष सा लगता है
तुझे देखे हर बार हम,  हर कुछ नया सा लगता है


पथिक ये राह है भूला, प्रकृति की गोद में झूला
मुसाफिर हर राह का अक्सर, मुझे था देख कर फूला
संग में साथ तेरा था, अरे वो ही तो हाथ मेरे था
जमाना जान लेगा अब, हरा हर बाग मेरा था
बिन तेरे देश भी मुझे, प्रदेश सा लगता है
तुझे देखे हर बार हम,  हर कुछ नया सा लगता है 


Saturday, 6 July 2013

A way to GOD (Feel the Change)

खेल खेल में देख ली दुनिया, खेल बना संसार यहाँ 
लूट के जीवन जीने वालों, क्या ले जाओगे साथ वहाँ 
तू काट काट जीवन जीयेगा, तू काट आत्मा रोएगा 
जितना सोचा तूने पाया, कहीं उससे ज्यादा खोएगा 
राह तेरी आसान नहीं, जो राह तुझे आसान लगे 
तुझे लगेगा ठगा गया तू, हर ठाठ तेरे तुझे फीके लगे 

उतना जी ले जितना भाए, क्यूँ व्यर्थ पकाए जाता है
मार आत्मा अपने भीतर की, संतोष मिटाये जाता है
उतना करना जिससे तेरी, द्वार मुक्ति का खुला रहे 
मरना केवल देह तक सीमित, तू संग आत्मा जीता रहे 


अरुण कुमार अग्रवाल  

Friday, 5 July 2013

The passion for Love

तुम हुए थे रूबरू हमसे, जमाना गुजर गया 
तुम्हारी यादों के सहारे ही, ये अफसाना बन गया
हमने नादानी में ना मिलने की, कसम क्या खाई
इस खता से तुम शमा, मैं परवाना बन गया
शायद तुम तो मुझे माफी दे भी दोगी महबूबा 
लेकिन मैं सब जान कर भी, अनजान बन गया

The Emotions in Love

ख्यालों को हालातों ने कभी पनपने न दिया
दुपट्टा उनका उनकी आँखों ने कभी सरकने न दिया
तबीयत मेरी दहल सी जाती है बस उनके आ ही जाने से
वक़्त ने इन नजरों को कभी उन पे टिकने न दिया

अरुण 

The Style of Living

अवसर जीवन को जीवंत करने का 
आज एक दंभ भर उस पर्वत को उभार दो, देर ही सही किन्तु हर संशय को दिल से निकाल दो
हो सकता है बाधा दिन भर ताकती है तुम्हें, उसी की बाँहों में झूल कर उसे सीने से निकाल दो
समय साथ सदा ही देगा अगर इरादे बुलंद हो, खुद से किए वो छल पल में बल से निकाल दो 
शांति जगत की पाने हेतु क्रिया शांत न कर देना, जीवन के हर पहलूं पे समझौते न कर देना 
किस्मत तो पाणिनी की भी साथ न थी, भाग्यविधाता बन कर खुद के खुद को तुम संवार दो
चंद मुसीबत रास्ता घेर ले हमारा रुकना न होगा , घड़ी उल्टी चले चाहे कदमों का उल्टा चलना न होगा
वो वक़्त की उल्टी घड़ियाँ घुटने टेक देंगी एक दिन, बस तुम अपने हृदय गति को अधिकाधिक परवान दो
दुश्मन ये लोग नहीं शत्रु तो सोच हमारी होती है, सफलता न मिली कारण हमारी मक्कारी होती है
हम जागते रहते है क्रियाहीन इस जहाँ में, इसलिए ही तो किस्मत हमारी सोती है
इस जंग का अंत हम विजय श्री के बिना न होने देंगे, ये पुकार आग से पूर्ण कर इस गगन मे दहाड़ दो
मित्र और संगी साथी सब दूर चले जाते हैं, अगर आप नाकामी की सीढ़ियाँ निरंतर चढ़ते जाते हैं
कोई चाह कर भी आपका विरोधी न बन पाए, ये चाह सभी कर्णों में फुँकार दो
सशक्त और सदृश्य भविष्य की कामना न करो, अपने लिए भव्य महलों का भी न आवह्न करो
ये ज़िंदगी एक जीवंत मिसाल बन जाए, अपने जीवनरथ के अश्वों को गगनचुम्बी उड़ान दो
मस्तियाँ बेवजह की इस जीवन को रास न आए, हमारी कमजोरी पे कोई भी तरस न खाए
ये चाहत ही कमजोरी में ज़ोर भर देगी, खुदा खुद नीचे आए तुम ऐसे दंब भर कर पुकार दो

रचना: अरुण कुमार अग्रवाल

The Fire of Love

इधर चिंगारी उधर तो आग लगी होगी 
ऐसे हालातों में जब वो जवां होगी 
अरे झुलस जाने दो उसे मेरी यादों में 
तभी तो उस पर मेरे प्यार की बरसात होगी


अरुण 

The Importance of Water In Our Life

जल ही मेरा बल

जल छोडो खातिर मेरे भी, मुझे जीना और सँवरना है
क्यूँ ऐसे खडे रूकावट बन, तुम्हारी संतानों को चलना है
क्या निज आनंद अनुभव हेतु, प्रकृति की जडें जला दोगे
क्या अडे खडे निज स्वार्थ पर तुम, भविष्य की नींव हिला दोगे
यदि जीवन के आदर्श बनो तो, त्याग तुम्हें भी करना है
जल छोडो खातिर मेरे भी, मुझे जीना और सँवरना है

क्या भूल गये जब बालक थे, नीर धनी तुम होते थे
निशा में मन को शांत बनाकर, बेखौफ की निद्रा सोते थे
बन अनजान भविष्य में तुम, क्यूँ प्रलय मचाते हो
प्रकृति का संतुलन था वाजिब, क्यूँ तुम इसे डिगाते हो
छोडकर नादानी अपनी तुझे, हर कर्तव्य समझना है
जल छोडो खातिर मेरे भी, मुझे जीना और सँवरना है

क्या सोचा था एक दिन किल्लत, पानी की यहाँ हो जाएगी
जल की चंद बूंदे एक दिन, बोतल बंद बिक जाएगी
कुएं से मटकी सारी कभी, खाली ही वापिस आएगी
आने वाली ग्रीष्म ऋतु कभी, तुझे झुलस-2 झुलसाएगी
पूंजी अपनी जल को समझकर, इसे खूब एकत्रित करना है
कुएं की बातें ही छोडों अब, तालाब नदी भी भरना है
जल छोडो खातिर मेरे भी, मुझे जीना और सँवरना है

The Eagerness of Love

tadapte rahte hai hum, pass jab tum nahi hoti,
tujhe khali dekh kar bhi, muskile kam nahi hoti
raat aur chaand se puchho, hmara kya haal hai
intezar me tere kabhi,meri khirki band nahi hoti

Khao na kasme itni hame itbaar hai,
Kisi se bhi puchho hame teri darkar hai,
jalta hai dil jab hame waqt nahi deti, 
Lekin tumhari is ada se bhi hme pyar hai

Ehsas hai ki mujhe pyas hai
smander or sahil bhi pass hai
na uthte hai hain kadm unki or
janta hun mai ki wo mere liye khaas hai

The True Face of ourselves

क्यूँ ऐसा बारम्बार हुआ एक लड़की संग बलात्कार हुआ
न्याय इन्हें न देने वाला अब बुजदिलों का दरबार हुआ
नारी को सम्मान रहित कर हर शख्स यहाँ शर्मसार हुआ

अपराध निरंतर हो जाने पर, हम चुप्पी तोड़ नहीं पाते हैं 
संग हमारे नहीं हो सकता ये, जान के चुप सो जाते हैं
कायर हैं भीरू हैं जो ऐसी निर्दयता कर के जाते हैं
मानुष नहीं कभी हो सकते जो क्रूर पाप कर पाते हैं

जीवन ऐसा जीना होगा अपराधी अब थर्रा जाएं
आँख गलत उठ जाए तो दंड उसी क्षण मिल जाए
गंदी सोच पालने वाले नवयुवक हमें स्वीकार नहीं
सही मायने में ऐसी जाति जीने की हकदार नहीं

The boat of Love

कागज़ की कश्ती ले, आ नहीं सकता दरबार तेरे
नौका यापन जीवन मेरा, नहीं कर सकता घरबार खड़े
मंद मंद मुस्कान ने तेरी, मेरी मति डिगाई है
रात रात दिन में भी रहती, ऐसी जुल्फ़ फिराई है
भूल सभी को मैं बैठा हूँ. ध्यान तुझसे नहीं हटे
बाँट सभी को मैं सकता हूँ प्यार मुझसे नहीं बँटे
कागज़ की कश्ती ले मेरा ये न समय कटे

The presence of GOD

काल मेरा जयमाल यहाँ, सारा नभ है चरण तले।
आना पथिक यहीं होगा ख्वाब़ चाहे अथाह पले।।
जलचर नभचर और सभी तुम मेरे अंश से बने हुए।
संसार सदा सोता है मुझसे पल न कोई टले ।।

निराकार और आधारहीन मैं, कण कण विचरता वासी हूँ । 
तेरी नौका डोली भवसागर में, साहिल पे खींच के लाता हूँ।।

अंधकार तेरे आगे, नयन तेरे अब क्षीण हुए।
कदम तेरे चोटिल चोटिल , इरादें तेरे जब पस्त हुए।।
तू याद मुझे करने लगता, अपने हाथों को जोड़ खड़े
तू मेरा ही अभिन्न रूप, क्यूँ स्वयं समक्ष निज़ पाप बड़े

विश्वास तुझे करना होगा , मैं विश्वास का एकदम भूखा हूँ ।
आसक्त प्यार का सदैव ही रहता, बिना प्यार के सूखा हूँ ।।

अरुण

Unexpressed Love

ख़ामोश थी जुबां लेकिन नज़ारा तो साफ था
मचलती हुई आँखों में हर आंसू बेपाक था
कसमें तो वो खाती थी पर इरादा मेरा साफ था
चलते रहते थे उन संग उनके गलियारों में हम 
हँसती वो भी दिल से थी न मन हमारे पाप था
तकल्लुफ़ हो न जाए उन्हें वज़ह ये नाचीज़ ह
गुऩाह हर उनका हमेशा नज़र में हमारी माफ़ था

अरुण

Nature and Lover

बहकी बहकी सर सर करती, हवा गूंज के कहती है
तेरी महबूबा मेरे ही संग, बड़े नाज़ से रहती है
लहर लहर कर मदमस्त पवन में, जुल्फ तुम्हारी उड़ा करे
शोखियां तेरे बदन से यूँ, पात समदर्शी झड़ा करे
कजरारी आंखें घनघोर अंधेरा, पथ धूमिल मेरा हुआ यहाँ
नयन मूंद अब चिंतित चक्षू, ध्यान साधू सम धरे यहाँ
चाल तेरी से डगर डोलती, कमर में लचीली लता छुपाई है
वन उपवन शर्मिंदा सारे, कहाँ से अभिन्न सुन्दरता पाई है
जीवन भर देखूँ तुझको, मुझे कोई लोभ कोई मोह नहीं
आसक्त बनूँ मैं तू मेरी हो , फिर कोई चाह कोई टोह नहीं

अरुण

See the importance of your Vote

खाकर कसमें जब हम घर छोड़ निकलते हैं
देश को बदलने की आशा संग ले निकलते हैं
क्यूँ चुनाव आने पर सब विवेक यहाँ मर जाता है
कुछ नोट हाथ में आने से परिणाम ही फिर जाता है
कोई बिरादरी की बात करे, कोई धर्म की बात करे
कोई ताकत कोई पैसा, कोई नए लालच से घात करे
कोई वोट न देकर खुश है होता, फिर अधिकारों की बात करें
कर्तव्य को नहीं समझोगे जब तक, कैसे देश की बात करे
जीत-2 वह जीत न होकर महज एक सौदा हो जाता है
फिर सोचो कौन सौदागर चुनाव में घाटा खाने आता है

फिर वही दंगे और लूटपाट समाज के हिस्से हो जाते हैं
वही मतदाता फिर से उनपर अपना आक्रोश दिखाते हैं
फिर धरने और धरनों में लाठी, कितनी निर्भया मारी जाती है
फिर उन्हीं निस्सहाय के हाथों में, मोमबत्ती ही रह जाती है

समय पर हक का बाण हमें जब, नहीं छोड़ना आता है
फिर कैसे अपनी दुर्दशा पर, अधिकार मांगना आता है
पाल-2 कर नागों को हम, अगर भविष्य यहाँ बनाएंगे
कुछ भी ख्वाब़ न पालो मेरे भाई, निश्चय ही मर जाएंगे

अपने वोट का इस्तेमाल केवल देशहित में करें

जय हिन्द

The Importance of being Humane

क्या करूँ आज मैं तनहा जैसा क्या कहूँ कि हूँ ख़ामोश भी
वक्त बहता जा रहा मैं वहीं पड़ा हूँ आज भी
अलगाव मेरा होने को आतुर, नित निर्दयी होता जाता हूँ
पथ में हैं पाषाण जो निष्ठुर,उन सम ठोक लगाता हूँ

दौर क्षणिक ये निश्चित जानूँ, मति मेरी भ्रमित कुपित
कील, कटार, करिपाण स्नेही, मंद विवेक है चिंतित व्यथित

कोई दे दो वक्त की बूंदे, एकदम मैं तो प्यासा हूँ
धड़कन थी जब चंचल-2, अब मरित्यु की परिभाषा हूँ
जीवन जीओ जीने जैसा, क्या विरक्त , व्याकुल
विकलांग बनें
खाना सोना सोके खाना, निर्बल असहाय बलवान बने

मैं याद न आऊँ ध्यान रहे, अधिकार ये देकर जाता हूँ
मानव न था मैं जब तक जीया, बिन मानव ही मर जाता हूँ

अरुण

Politics calling us

रीझा-2 के देख ली दुनिया, अब अलग थलग सा रंग होगा
कुछ सिंह ले दहाडेगें, कि हर कोई अब दंग होगा
राजा अब न राजा होते, केवल भक्षक होते हैं
सौंप कटारें उन के हाथों, हम बेचारे रोते हैं
छीने अपने अधिकार सब, कुछ ऐसा रूप दबंग होगा
रीझा-2 के देख ली दुनिया, अब अलग थलग सा रंग होगा